सुमी का पुरुस्कार - हिंदी
सुमी का पुरस्कार
सुमी कम से कम एक पुरस्कार तो जीतना चाहती थी . छोटा सा ही सही पर एक पुरस्कार पाने को वह आतुर थी , क्योंकि सुमी को आजतक कोई पुरस्कार न मिला था . अब वह सात वर्ष की थी और गाँव के स्कूल की दूसरी कक्षा में पढ़ती थी . किसी अद्भुत कार्य के लिये एक पुरस्कार जीते बिना वह बड़ी न होना चाहती थी .
__ एक और वर्ष के बीतने से पहले उसे एक पुरस्कार जीतना ही था . लेकिन वह पुरस्कार कैसे पा सकती थी ? उसे तो स्कूल का काम करने पर अपनी कापी में एक सुनहरा सितारा भी न मिला था . या तो वह काम में कोई गलती कर देती थी या फिर कापी के पन्ने पर उसके अंगूठे से काला धब्बा बन जाता था .
__ “ एक दिन तुम्हें भी सुनहरा सितारा मिलेगा,” उसके अध्यापक ने कहा. “ बस प्रयास करती रहो . “
सुमी ने प्रयास किया, परन्तु कोई लाभ न हुआ. उसने बहुत प्रयास किया था क्योंकि उसके अध्यापक बहुत विशिष्ट थे. उनका गोल सिर बिलकुल गंजा था और वह छोटे आधे- चंद्राकार शीशों वाला चश्मा पहनते थे. लेकिन वह इन कारणों से विशिष्ट न थे. वह विशिष्ट थे क्योंकि वह सूगी गाँव के मेयर थे. और हर कोई उन्हें मिस्टर मेयर बुलाता था . गाँव में वह अकेले व्यक्ति थे जिनके पास एक काला, चमकदार ऊँचा हैट था .
यह मेयर का सम्मानित हैट था और गवर्नर महोदय ने उन्हें उपहार में दिया था . इस हैट को पहन कर वह विवाह समारोह में और त्योहारों में और अंतिम संस्कारों में भाग लेते थे. स्कूल की एक अलमारी में इस ऊंचे हैट को वह संभाल कर रखते थे .
कभी-कभी, जब कोई देख न रहा होता, सुमी कुर्सी पर खड़े हो कर अलमारी में रखे हैट को हाथ से छूती थी . हैट एक काली बिल्ली के समान रेशमी जैसा लगता था .
जिस दिन वह अपने को अध्यापक से अधिक मेयर समझते थे उस दिन मिस्टर मेयर कक्षा के अंदर भी अपना ऊँचा हैट पहन कर रखते थे. उस दिन वह बच्चों को उनकी कापियों में सुनहरे सितारे देते थे और उनसे हाथ भी मिलाते थे. सुमी को लगता कि उस समय वह सम्राट के मैडल देते हुए प्रधान मंत्री जैसे दिखते थे. तब उसके मन में तीव्र इच्छा होती कि वह भी कुछ उत्कृष्ट काम करे , उनसे पुरस्कार पाए और उनसे हाथ मिलाये .
एक दिन ऐसा अवश्य होगा, उसकी माँ ने कहा . _ एक दिन तुम भी शायद कोई पुरस्कार जीत जाओ, उसके पिता ने कहा .
लेकिन उसके भाई तारो ने कुछ न कहा क्योंकि उसे लगता था कि सुमी कभी कोई पुरस्कार न जीत पाएगी. आखिरकार वह सिर्फ सात साल की एक लड़की ही तो थी .
लेकिन मिस्टर मेयर ने अपनी ठोड़ी खुजलाई और सोचने लगे. क्यों नहीं ? उन्होंने धीरे से कहा . यह प्रतियोगिता गाँव के सब बच्चों के लिये है.
__ एक दिन , जब धान की फसल कट चुकी थी और दिन में ठंड बढ़ने लगी थी, मिस्टर मेयर ने स्कूल में एक घोषणा की . __ हरर्फ, उन्होंने अपना गला साफ़ किया. नव वर्ष के दिन नदी किनारे पतंग उड़ाने की एक प्रतियोगिता होगी. सबसे सुंदर पतंग को पुरस्कार दिया जाएगा. फिर उन्होंने अपने सिर को ऐसे थपथपाया जैसे कि उन्होंने अपना हैट पहन रखा हो और बोले , मैं ही प्रतियोगिता का जज बनूंगा.
सुमी ने तुरंत अपना हाथ उठाया. क्या लड़कियाँ प्रतियोगिता में भाग ले सकती हैं ? उसने पूछा. ___ कक्षा के लड़के हंस दिए . लडकियां पतंग नहीं उड़ा सकती. उन्होंने फुसफुसा कर कहा .
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अंततः पुरस्कार जीतने का एक अवसर आ गया था ! सुमी कागज़ के फूल और पक्षी बनाने में खूब माहिर थी . उसे विश्वास था कि पिता की सहायता से वह एक अच्छी पतंग बना लेगी. वह गाँव में सबसे सुंदर पतंग बनाएगी और पुरस्कार भी जीतेगी. जितना वह इस विषय पर सोचती थी उतना ही उसका विश्वास मज़बूत होता गया की वह पुरस्कार जीत सकती थी . इस विश्वास को वह अपने भीतर भी महसूस कर सकती थी .
लेकिन एक समस्या थी और वह थी उसका भाई, तारो. वह भी प्रतियोगिता में भाग लेने वाला था . अगर पिता ने उसकी सहायता की तो अवश्य ही वह उससे बढ़िया पतंग बना लेगा क्योंकि दोनों ने मिलकर कई सुंदर पतंगें बनाई थीं . सुमी चिंतित थी लेकिन उसी शाम तारो ने उसे सुखद समाचार देकर चौंका दिया .
मैं अपनी पतंग अकेले ही बनाऊँगा, उसने कहा. वह आखिर दस वर्ष का था और कुछ काम तो स्वयं कर सकता था .
___ तो बस सुमी अपनी पतंग बनाने लगी. सबसे पहले उसने एक कागज़ पर पतंग का डिज़ाइन बनाया . पतंग एक बड़ी तितली के आकार की होगी. उस पर वह काला और सुनहरी रंग लगाएगी. धागा और रंग
और सही प्रकार का कागज़ खरीदने के लिये वह एक स्टेशनरी की दूकान पर गयी. सुमी ने कई दिन खूब मेहनत की और जब सब तैयारी हो गयी तो उसकी माँ ने आटे को पका कर लेई बना दी .
फिर पिता ने पतंग को जोड़ने में उसकी सहायता की .
पतंग हल्की और मज़बूत होनी चाहिए, उसके पिता ने कहा . और ठीक से संतुलित होनी चाहिए .
सुमी ने तीन पतंगें बनाईं, पर एक भी अच्छी नहीं बनी . फिर चौथी पतंग जो उसने बनाई वह बिलकुल सही थी. उसके पिता उसे नदी किनारे ले गये और वहां उन्होंने उस पतंग को उड़ाया . पहले प्रयास में ही सुमी की सुनहरी तितली जैसी पतंग ऐसे उड़ने लगी जैसे कि आकाश ही उसकी असली जगह थी . आकाश में उड़ती पतंग को देख कर सुमी चिल्लाई , मैं पुरस्कार जीत जाऊँगी.
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लेकिन जब तारो ने अपनी पतंग बना ली तो सुमी का विश्वास डगमगा गया. उसकी पतंग मज़बूत थी. उसके ऊपर एक समुराई योद्धा का चित्र लाल, पीले और बैंगनी रंगों से बना था . यह पतंग इतनी भयंकर थी कि उसके आगे सुमी की पतंग बिलकुल फीकी सी दिखाई पड़ रही थी . ___ काश हम दोनों ही पुरस्कार जीत सकते, सुमी ने सोचा. लेकिन वह जानती थी कि पुरस्कार तो एक पतंग को ही मिलना था .
__ अब उसकी पतंग तैयार हो गयी थी , इसलिये सुमी बड़ी बेताबी से नववर्ष की प्रतीक्षा कर रही थी . वह प्रतीक्षा करते हुए चिंतित भी थी क्योंकि सर्दियों की पहली बर्फबारी हो रही थी . धरती पर कई जगह सफेद बर्फ के ढेर इकट्ठे हो गये थे. लेकिन नववर्ष के दिन आकाश बिलकुल साफ था और धूप में चमक रहा था . पतंगें उड़ाने के लिए यह एक सही दिन था .
सुमी ने अपना नया किमोनो पहना . नववर्ष मंगलमय हो ! उसने ख़ुशी से कहा . आज प्रतियोगिता का दिन है!
अरे हाँ, वही दिन तो है. पिता ऐसे बोले जैसे कि वह भूल गये थे.
नववर्ष के उपलक्ष्य में माँ ने अच्छे - अच्छे व्यंजन बनाये थे. __ सुमी को तो राइस - केक सबसे अधिक पसंद थे, लेकिन तारो को समुद्री शैवाल ही अच्छे लगते थे.
फिर मंदिर जाकर नए वर्ष के लिये प्रार्थना करने का समय हो गया. जितनी जल्दी संभव था उतनी जल्दी सुमी ने प्रार्थना की और दौड़ कर सबसे पहले घर लौट आई. उसने अपना किमोनो उतरा और उसे संभाल कर रख दिया . किमोनो पहन कर नववर्ष की प्रार्थना की जा सकती थी लेकिन उसे पहन कर पतंगें नहीं उड़ाई जा सकती थीं .
सुमी अपने पिता के साथ चली. एक हाथ में उसने अपनी सुनहरी तितली पकड़ रखी थी और दूसरे हाथ से पिता का हाथ पकड़ रखा था . जितना वह नदी के निकट पहुँच रहे थे उतना ही वह वापस मुड़ कर घर लौट जाना चाहती थी . उसने अपने पिता की ओर देखा, लेकिन वह तो नदी किनारे पहुंचने को आतुर थे. हवा तो बिलकुल सही रफ्तार से चल रही है, पिता ने कहा .
सुमी ने झटपट गर्म स्लैक्स और ऊनी स्वेटर पहन लिया . उसने अपने बालों को ठीक से बाँध लिया ताकि पतंग उड़ाते समय बाल उसके चेहरे पर न आयें. अपने जूतों में उसने नये तस्मे डाल लिये ताकि पतंग को पकड़ कर भागते समय वह लड़खड़ा कर गिर न पड़े. यह सुनीश्चित करने के लिये कि उड़ाते समय कहीं पतंग खुल न जाए, उसने अपनी पतंग की बार - बार जांच की . अब वह प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये तैयार थी .
दुपहर का खाना खाने के बाद वह सब नदी किनारे उस जगह आ गये जहां प्रतियोगिता होनी थी . माँ ने उज्ज्वल , साफ आकाश की ओर देखा. नए वर्ष का एक नया, नूतन दिन, उसने प्रसन्नता से कहा. ___ अपने मित्रों की पतंगें देखने के लिये तारो भागता हुआ आगे चला गया .
नदी किनारे बहुत लोग इकट्ठे हो चुके थे. सुमी ने अपनी कक्षा की कुछ लड़कियों को वहां देखा. उन सब ने सुंदर रेशमी किमोनो पहन रखे थे और बालों में रिबन लगा रखे थे. किसी लड़की ने स्लैक्स और स्वेटर न । पहना था. किसी ने हाथ में पतंग न पकड़ रखी थी. पूरे गाँव में वह एक अकेली लड़की थी जो प्रतियोगिता में भाग ले रही थी .
सुमी ने मिस्टर मेयर को देखा. उन्होंने काला कोट , धारीदार पतलून और अपना चमकीला हैट पहन रखा था . मेयर चुने जाने के बाद पहली बार वह इतने आकर्षक दिखाई दे रहे थे. वह एक मेज़ के निकट खड़े थे. मेज़ पर लाल और सफेद झालर लगी थी . वह थोड़े झुके और सबको नववर्ष की शुभ कामनायें उन्होंने दीं .
सारे लड़के अपनी- अपनी पतंगें लेकर उनके सामने एक कतार में खड़े हो गये. माँ ने सुमी को कतार में खड़े होने के लिए उत्साहित किया .
‘ भाग्य तुम्हारा साथ दे! माँ ने फुसफुसा कर कहा .
सुमी कतार के अंत में खड़ी हो गयी और उत्सुकता से उसने सब की पतंगों को देखा. वहां अलग- अलग आकार और आकृति वाली कई प्रकार की पतंगें थीं. कोई पतंग चकोर थी तो कोई हीरे के आकार की . एक खाली डिब्बे जैसी तो एक हिम - मानव जैसी .
कुछ पर कई प्रकार के रंग किये हुए थे और कुछ पर ड्रैगन के चित्र बने थे, क्योंकि वह दिन ड्रैगन वर्ष का पहला दिन था . किसी पतंग के ऊपर वैसा भयंकर योद्धा चित्रित नहीं था जैसा तारो की पतंग पर बना था . और किसी के पास सुनहरी तितली नहीं थी . सुमी को लगा कि उन सब पतंगों में उसकी पतंग सब से सुंदर थी .
मिस्टर मेयर कतार के एक ओर से दूसरी ओर चलते- चलते पतंगों का निरीक्षण करने लगे. बहुत बढ़िया, वह धीमे से बोले . बहुत सुंदर .
वह सुमी के सामने एक पल को रुके, अपना सिर धीरे से हिलाया _ और फिर इतना ही बोले , अह.
सुमी उन्हें बताना चाहती थी कि पतंग बनाने में उसने कितनी मेहनत की थी पर वह एक शब्द भी न बोल पाई . वह उन्हें नववर्ष की शुभकामनायें देना चाहती थी लेकिन अपनी नाक खुजलाने के अतिरिक्त वह कुछ भी न कर पाई .
फिर पतंगें उड़ाने का समय आ गया . पिता ने उसे पतंग उड़ाने में मदद की . पतंग उड़ने लगी तो बाकी सब कुछ सुमी को ही करना था . वह धीरे - धीरे , सावधानी के साथ , डोर को छोड़ती रही और पतंग को डील देती गयी , बीच -बीच में डोर को खींच कर पतंग को ऊपर उठाती गयी .
ऊपर जाओ! और ऊपर जाओ! सुमी ने चिल्ला कर अपनी तितली से कहा .
ऐसा लगा कि तितली उसकी बात सुन रही थी क्योंकि वह आकाश में बहुत ऊपर सूर्य की ओर उठ गयी . तारो के योद्धा को सुमी आँख के कोने से देख पा रही थी . वह बहुत ऊपर उड़ रहा था लेकिन उसकी तितली और भी ऊपर उड़ रही थी . सच में तितली बहुत ऊपर उड़ रही थी . सुमी को लगा कि वह पुरस्कार जीत सकती थी , क्योंकि अगर वह तारो को हरा सकती थी तो निश्चय ही वह अन्य सब को हरा सकती थी . अब अंततः उसे पुरस्कार मिलेगा!
सुमी ने मिस्टर मेयर की ओर यह जानने के लिए देखा कि वह उसकी पतंग देख रहे थे या नहीं . वह उसकी पतंग देख रहे थे. अपनी आँखों पर हाथ से छाया किये हुए, उन्होंने अपना सिर थोड़ा पीछे झुका रखा था . और तभी एक घटना घटी! नदी किनारे से आते हवा के तेज़ झोंके ने उनके सिर से उनकी शानदार हैट को उड़ा दिया. रेत पर तेज़ी से घूमते हुए हैट पानी की और चल दिया .
मेरा हैट ! मिस्टर मेयर चिल्लाये , मेरा हैट!
रुको ! सुमी चिल्लाई. लेकिन हैट गोल था और तेज़ी से घूमते हुए आगे चलता गया .
_ मिस्टर मेयर की हैट ! सुमी ने चिल्ला कर कहा . लेकिन सब आकाश में पतंगों को देखने में इतने मग्न थे कि किसी ने देखा ही नहीं कि नीचे क्या हो रहा था .
अपनी पतंग और मेयर के हैट पर एक साथ नज़र रखना सुमी के लिए असंभव था . लेकिन सुमी जानती थी कि उसे मिस्टर मेयर की सहायता करनी ही होगी. हैट पानी के निकट पहुँचने ही वाला था और सुमी को उसे किसी तरह बचाना था . उसने एक अंतिम बार अपनी पतंग को देखा और डोर को कस कर पकड़ लिया. फिर , जितनी तेज़ भाग सकती थी उतनी तेज़ वह भागी.
धड़ाम की आवाज़ के साथ वह हैट के ऊपर कूद गयी . उसे लगा की उसके नीचे हैट चपटा हो गया था . उसने हैट को बचा तो लिया था लेकिन उसे कुचल कर चपटा कर दिया था . इससे बुरी बात यह थी कि उसने अपनी पतंग को ऐसा झटका मारा था कि पतंग उलटी मुड़ कर आकाश से सीधा नीचे आ गयी थी . एक घायल पक्षी समान , उसकी सुनहरी तितली यहाँ - वहाँ घूमती रेत के एक ढेर पर जा गिरी.
ओहहह , वहां इकट्ठे लोगों ने दुःखी आवाज़ में एक साथ कहा क्योंकि अब हर किसी ने देख लिया था कि क्या हुआ था .
मिस्टर मेयर भाग कर सुमी के पास आये. क्या तुम ठीक हो , छोटी बच्ची ? उन्होंने पूछा और खड़े होने में उसकी सहायता की .
देखो, उन्होंने कहा और अपने हैट को ज़ोर से अपनी बाँह पर मारा. फटाक से हैट ठीक हो गया . हैट को देख कर लगता ही नहीं था कि कभी सुमी के पेट के नीचे दब गया था . मिस्टर मेयर ने हैट अपने सिर पर पहन लिया और सुमी का हाथ पकड़ लिया .
आओ मेरे साथ, उन्होंने कहा और सुमी को जज की मेज़ के पास ले आये.
सुमी के माता-पिता उसके पास दौड़े आये. क्या तुम ठीक हो ? उन्होंने पूछा . हमने तुम्हें मिस्टर मेयर की हैट बचाते हुए देखा! उन्होंने गर्व के साथ कहा .
मेयर ने सुमी को अपने साथ बैठने दिया और दो गंभीर जजों समान वह आकाश में उड़ती सुंदर पतंगों को देखने लगे .
सुमी ने अपना सिर हिलाया , पर वह अपने आंसू न रोक पाई. मेरी पतंग फट गयी, उसने रोते हुए कहा , और आपका हैट भी कुचला गया .
मिस्टर मेयर भी दुःखी हो गये. तुम्हारी पतंग के लिये मुझे बहुत खेद है, वह बोले. वह सुंदर पतंग थी . लेकिन मेरे हैट की तुम चिंता न करो. उन्हें हैट के विषय कुछ बातें पता थीं जो सुमी नहीं जानती थी .
शीघ्र ही पतंगें उतारने का समय हो गया . मेयर ने सबको निकट आने को कहा . पुरस्कार था वाटर - कलर्स का एक सुंदर डिब्बा . जब तारो को पुरस्कार दिया गया सब ने ज़ोर से तालियाँ बजाईं. उसने सच में सबसे अच्छी पतंग उड़ाई थी . प्रतियोगिता समाप्त हो गई और लोग धीरे - धीरे वापस जाने लगे .
सुमी ने देखा कि तारो का योद्धा सबसे ऊपर उड़ रहा था . वह समझ गयी कि वही पुरस्कार जीतेगा. तारो को एक और पुरस्कार मिल जाएगा जबकि उसे एक भी नहीं मिलेगा. सुमी रोना चाहती थी , क्योंकि वह पुरस्कार जीतने ही वाली थी .
लेकिन मिस्टर मेयर की बात अभी खत्म नहीं हुई थी. एक पल के लिये रुकिए, उन्होंने कहा और वह अपनी जेबों में कुछ ढूँढने लगे . आखिरकार उन्होंने एक जेब से अपना बड़ा नीला फाउंटेन पेन निकाला .
मेरे पास एक और पुरस्कार है, वह बोले. यह उस अकेली लड़की के लिये है जिस ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और सूगी गाँव में वह एक अकेली है जिस ने मेयर की हैट को नदी में डूबने से बचाया.
__ इतना कह अपना सुंदर ऊँचा हैट पहने मेयर ने सुमी से हाथ मिलाया और उसे अपना फाउंटेन पेन दिया .
सुमी को लगा कि अवश्य ही वह कोई सपना देख रही थी . सब ने तालियाँ बजाईं और उसे शाबाशी दी . उन्हें खुशी थी कि सुमी को दूसरा पुरस्कार मिला था . उसकी कक्षा की लड़कियाँ । उसके पास आ गईं . बारी - बारी से सब ने उसके पेन को हाथ में पकड़ कर देखा .
मेयर का अपना पेन ! सब ने बड़े उत्साह के साथ कहा . यह तो अब तक का सब से अच्छा पुरस्कार है.
बाद में घर पहुँच कर उसके पिता ने कहा , तो सुमी, तुम ने भी आखिर एक पुरस्कार जीत ही लिया.
आजतक किसी परिवार ने एक दिन में दो पुरस्कार नहीं जीते, माँ ने कहा . इसी खुशी में मैं आज लाल फली वाले चावल पकाऊँगी.
तारो भी उसकी प्रशंसा करना चाहता था . लड़की होते हुए । भी , उसने कहा . बहुत सुंदर पतंग बनाई थी तुम ने.
सुमी प्रसन्नता से फूली न समा रही थी . उस रात अपना फाउंटेन पेन वह अपने बिस्तर में ले आई और उसे सिरहाने के पास रख लिया. फिर उसने अपनी आँखें बंद कर ली और दिन की सारी अद्भुत घटनाओं के विषय में सोचने लगी. अपनी बंद आँखों से उसने आकाश में उड़ती सुंदर पतंगें देखीं, अपना ऊँचा हैट पहने मुस्कराते हुए और उससे हाथ मिलाते हुए मेयर को देखा .
अचानक सुमी को अहसास हुआ कि अब कोई पुरस्कार जीतने के लिए उसे सोचने की आवश्यकता नहीं थी , क्योंकि आज उसने ऐसा अद्भुत कार्य किया था जो सूगी गाँव में । कोई दूसरा फिर कभी नहीं कर सकता था . सत्य तो यह है कि पूरे जापान में ऐसा कौन होगा जिसने पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता में भाग लिया हो और मेयर की हैट बचाने के लिए मेयर का फाउंटेन पेन पुरस्कार में पाया हो ? कोई नहीं, उसने प्रसन्नता से सोचा, सिर्फ मैंने ऐसा अद्भुत कार्य किया
समाप्त
था !